जैसे दस शीश के कुटुम्ब को उतारा ठीक, जैसे दस शीश के कुटुम्ब को उतारा ठीक,
उसकी मर्जी ही सर्वश्रेष्ठ है जिसको परमात्मा बोलते है उसकी मर्जी ही सर्वश्रेष्ठ है जिसको परमात्मा बोलते है
न जाने कब इसे होगी दोबारा बंदगी। न जाने कब इसे होगी दोबारा बंदगी।
हजारों चांद चमके रुखसार पर तेरे रोशन सारा जहां ! हजारों चांद चमके रुखसार पर तेरे रोशन सारा जहां !
दया दृष्टि तुझ पर रखें सदा परमात्मा जगदीश मनीष। दया दृष्टि तुझ पर रखें सदा परमात्मा जगदीश मनीष।
आज मैं, मुझ में 'मैं' को निखारती हूँ इसी कश्मकश की कोशिश में लगी हूँ जो खोई थी मैंने ... दुनिया भ... आज मैं, मुझ में 'मैं' को निखारती हूँ इसी कश्मकश की कोशिश में लगी हूँ जो खोई थी...